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Wednesday, September 5, 2012

देखो देखो, देखो देखो..., -2

देखो देखो, देखो देखो..., -2
सोनिया केगीत जोगाता है, 
वो मिडिया सचको छुपाता है, 
टीआरपी अपने बड़ाने मेंजो, 
देश द्रोह तक जाता है..., 
देखो देखो, देखो देखो.., -2
उसका विकल्प युगदर्पण ऐसा,
छुपासच जो प्रकाश में लाता है,
भारतके हर शत्रुकी धज्जियाँ.. 
सदा निर्भय होके उडाता है....,
देखो देखो, देखो देखो.., -2
मेरे मित्रोंके नाम सुनो, 
सब देशभक्त क्रांतिकारी,
सबका लेखन एकसे बढकर 
सब ही शत्रु पर भारी हैं ....,
देखो देखो, देखो देखो.., -2
भारतके सभी कोनों सेवो है 
कोई बम्बइया कोई गुजराती,
क्या पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण,
हैं सारे ही भारतवासी.....,
देखो देखो, देखो देखो.., -2
भारतचौपाल ! देश की मिटटी की सुगंध,
देखो देखो, देखो देखो..,-2.
Real names of Nehru Gandhi family. Naqli logon ke asli nam :
भारतचौपाल! देश की मिटटी की सुगंध,

मैं भारत हूँ!!

मैं भारत हूँ!! (हमारी प्रकृति व नियति)
रोक न पाए, जिसको ये विश्व सारा,
वो एक बूँद, आँख का पानी हूँ मैं,
यदि रख सको, तो अमिट निशानी हूँ मैं,
न संभाल सको, तो बस एक कहानी हूँ मैं,
उन शर्मनिर्पेक्षों से पूछो, क्या हमको सिखाते?
तुम्हें छोड़ सब जानते, क्या है संस्कृति हमारी;
वसुधैव कुटुम्बकम की प्रकृति है हमारी,
विश्वगुरु फिर कहाने की नियति है हमारी,
समझो खुली किताब के जैसी कहानी हूँ मैं,
यदि रख सको, तो अमिट निशानी हूँ मैं,
न संभाल सको, तो बस एक कहानी हूँ मैं,
कितना भी गहरा घाव दे कोई हमको,
उतना ही मुस्करान भी आता है हमको,
अतिथियों का स्वागत किया है सदा ही,
शत्रुओं को मिटाना भी आता है हमको;
ये शब्द नहीं इतिहास की जुबानी हूँ मैं;
यदि रख सको, तो अमिट निशानी हूँ मैं,
न संभाल सको, तो बस एक कहानी हूँ मैं,
खोलना चाहते हो क्यों, बंद उस द्वार को?
द्वार मस्तिष्क खोलो, न रहो आंख मीचे,
वरना रह जायेगा, केवल पछताना पीछे,
धधकता है ज्वालामुखी, बड़ा जिसके पीछे,
राम का भक्त हनुमान जैसी रवानी हूँ मैं;
"यदि रख सको, तो अमिट निशानी हूँ मैं,
न संभाल सको, तो बस एक कहानी हूँ मैं".
देश की मिटटी की सुगंध, भारतचौपाल!
पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है-युगदर्पण