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Wednesday, June 25, 2014

'वो आपातकाल'

'वो आपातकाल' सत्ता की अनंत भूख की उपज 
सत्ता की अनंत भूख, उसे बनाये रखने में तानाशाही और बाधाओं को कुचलने में उपजा आपातकाल यह काला अध्याय, भले एक घटना रही हो; किन्तु इस प्रक्रिया का क्रम यही है। जब सत्ता प्राप्ति का लक्ष्य, समाज के हित को भूल कर, साधनों का एकीकृत संग्रह करने हेतु स्वार्थ के वशीभूत होकर, लोभ तुष्टि बन जाये तो परिणाम यही होता है। लोकतंत्र और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को महत्वहीन तथा लोभ को लोक से बड़ा मान, संयम को नकार असंयमित व्यवहार की परिणती वह त्रासदी है, जिसे हमने 39 वर्ष पूर्व आपातकाल के रूप में देखा व भुगता। 
जब चुनाव अभियान में सरकारी तंत्र का दुरूपयोग करने के लिए इलाहाबाद कोर्ट ने उन्हें 6 वर्ष के लिए संसद की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहरा दिया था। पद छोड़ने के बजाए उन्होंने संविधान को स्थगित कर दिया। अपनी चमड़ी बचाने के लिए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25-26 जून 1975, की रात में स्वतंत्रता का हनन कर, स्वार्थ की काली स्याही से अंधकार का आपात अध्याय लिख दिया।
प्राय: एक लाख लोगों को बिना सुनवाई के बंदी बना लिया गया और जिन्होंने उनकी भ्रष्ट सरकार के विरुद्ध आंदोलन का नेतृत्व करने वाले जयप्रकाश नारायण, सहित सभी विपक्षी नेताओं को बंदगृह में डाल दिया गया। सबसे बुरा यह हुआ कि उन्होंने वैधानिक संस्थाओं को नष्ट किया, जो अभी तक नहीं सुधर पाई हैं। आपातकाल की मेरी कई रचनाएँ, जिनका स्मरण कर पा रहा हूँ, 'काव्यांजलिका' में प्रस्तुत हैं। http://www.kaavyaanjalikaa.blogspot.com/ 
हमें समझना होगा कि संविधान की सीमा उल्लंघन और पारदर्शीता का त्याग अनियंत्रित सरकार को तानाशाह बना सकता है। एक सशक्त सरकार का अर्थ होता है एक कर्मशील सरकार, न कि एक व्यक्ति का शासन, जो उस संसदीय लोकतंत्र को नष्ट करता है, जिसका हमने राष्ट्रपति प्रणाली के समक्ष चयन किया है। यहाँ जनता स्वामी है और इसकी आवाज को दबाने के लिए कुछ भी करना, हमारे लोकतांत्रिक, अनेकतावादी और समता के आदर्शों वाले गणतंत्र के मूल तत्व के विपरीत है।
इन सिंद्धातों को खंडित करने वालों को, 1977 में हुए चुनाव ने पराजय से दण्डित किया। यहां तक कि इंदिरा गांधी जैसा प्रभावी व्यक्ति भी चुनाव में पराजित हो गया। यह सब जानना महत्वपूर्ण है जिससे इसकी पुनरावृति नहीं हो। 
देश की मिटटी की सुगंध, भारतचौपाल | -तिलक संपादक

Tuesday, June 3, 2014

शोक समाचार

शोक समाचार 
एक कार दुर्घटना में संभवत: हृदयाघात के कारण केन्द्रीय ग्रा विकास व पंचायती राज मंत्री श्री गोपीनाथ पांडुरंग मुंडे (64 वर्ष) का निधन उनके परिवार ही नहीं, अपितु पूरे राष्ट्र के लिए दुखद  सन्देश लाया है। परमात्मा उनकी आत्मा को शांति प्रदान व उनके शोक संतप्त परिवार को यह दुःख व अपूर्णीय क्षति सहन करने की क्षमता प्रदान करें। 

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मंत्री गोपीनाथ मुंडे का आज प्रात: दिल्ली में एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया।  मुंडे का पार्थिव शरीर मुंबई ले जाया गया है। यहां से उनका पार्थिव शरीर उनके वर्ली स्थित पैतृक घर पर लाया गया। उनके घर पर राज ठाकरे, उद्धव ठाकरे, हेमा मालिनी, छगन भुजवल सहित कई लोग उपस्थित थे। मुंडे का अंतिम संस्कार कल महाराष्ट्र में उनके पैतृक गांव वर्ली में किया जाएगा। 
एक सप्ताह पूर्व ही शपथ ग्रहण कर कार्य भार सँभालने वाले भाजपा के मराठी नेता से ग्रामीणों सहित देश को बहुत आशाएं थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंडे के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा है कि वह अपने मित्र मुंडे के निधन से अत्यंत दुखी और स्तब्ध हैं। वे ही नहीं पूरा देश स्तब्ध है।
ग्रामीण विकास मंत्री की गाडी के दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना मिलने के बाद सबसे पहले एम्स पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने बताया कि मुंडे को पुनर्जीवित करने का डॉक्टरों ने हरसंभव प्रयास किया। मुंडे के सम्मान में दिल्ली, राज्य की राजधानियों और केंद्र शासित प्रदेशों में आज राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया गया।
देश की मिटटी की सुगंध, भारतचौपाल | -तिलक संपादक