देश की मिटटी से जुडे लोगों का मंच.-- नई तकनीक स्वीकारने के साथ ही विश्व को भारत की वो सौगात /उन महान मूल्यों की रक्षा, हर हाल करना, व्यापक मानवीय आधार है द्वार खुले रखने का अर्थ अँधानुकरण/प्रदुषण स्वीकारने की बाध्यता नहीं(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करेंसंपर्क सूत्र -तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 09999777358

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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Monday, November 17, 2014

राष्ट्र पुनर्जागरण मन्त्र

राष्ट्र पुनर्जागरण मन्त्र 
वन्देमातरम, उत्तिष्ठत जागृत भारत:, सत्य को जाने। 
जो समाज अपने आदर्श/इतिहास को विस्मृत कर, छद्म मुखौटे स्वीकारने लगे, उसका पतन सुनिश्चित है। धर्मनिरपेक्षता के नाम हुई यही भूल, परिभाषाएं व सोच विकृत कर, हमारी दुर्दशा का प्रमुख कारण बनी। आदिकाल से ही वो अपने जिन उच्च आध्यात्मिक,सामाजिक और नैतिक मूल्यों को लेकर चला, आओ देश की उन जड़ों से जुड़ें,  युगदर्पण के संग। आत्म गौरव जगा, भारत पुनः विश्व गुरु की प्रतिष्ठा पाये। तिलक, युगदर्पण मीडिया समूह YDMS 7531949051
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है |
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक
देश की मिटटी की सुगंध, भारतचौपाल | -तिलक संपादक