यह शिक्षा धर्मनिरपेक्ष है या शर्मनिरपेक्ष ?
मुस्लिम व ईसाई धार्मिक शिक्षा दे सकते हैं किन्तु हिन्दू नहीं ?
संविधान की शर्मनिरपेक्ष धारा 30 एवं धारा 30 अ के अनुसार हिन्दू अपने विद्यालयों में भले 100% छात्र हिन्दू हो, धार्मिक अथवा नैतिक शिक्षा नहीं दे सकता। रामायण, महाभारत, उपनिषद यहाँ तक गीता भी नहीं पढ़ा सकते, किन्तु अल्पसंख्यक मदरसे और स्कूल (कान्वेंट) अपनी मजहबी शिक्षा दे सकते हैं, भले उसमे 99% हिन्दू हों अथवा 100% सरकारी सहायता, वेतन, संरक्षण प्राप्त हो किन्तु सरकारी हस्तक्षेप से पूर्णत: मुक्त होंगे। भले जिहाद की शिक्षा एवं आतंकवाद या अलगाववाद का राष्ट्रद्रोही अड्डा बन जाये ?
यह धर्मनिरपेक्षता है या शर्मनिरपेक्षता?
जागो और जगाओ! जड़ों से जुड़ें, विश्व कल्याणार्थ भारत को विश्व गुरु बनाऐं !!!
आओ, इस देश की अस्मिता को भी बचाने का संकल्प लें ! मात्र सैन्य बल से ही नहीं, उनके प्रशिक्षण केंद्र बंद भी करें !!
आओ भारत को सशक्त बनायें! अधिक से अधिक शेयर कर 125 करोड़ तक पहुंचाएं!!
वंदेमातरम, उत्तिष्ठत अर्जुन, उत्तिष्ठत जाग्रत !!
यह हो सकता है कि 282 में से 116 पूर्व कांग्रेसी हों, जैसा आप नेता बता रहे है। चेहरा बहुत कुछ दिखाता है किन्तु सब कुछ नहीं, जो चेहरा देख कर आँकलन करते है कई बार भटक जाते हैं। ये 116 जब वहां थे इनका नेतृत्व कहता था लूटो और लूट में हिस्सा दो सुरक्षित हो अन्यथा बाहर, अब यहाँ नेतृत्व कहता है जो जनता की सेवा नहीं कर सकता मंत्रिमंडल से बाहर चला जाये। यहाँ से मंत्रिमंडल की कार्यसंस्कृति का निर्माण होता है। दोनों की सोच व चरित्र भिन्न है। वे राष्ट्रभक्तों के विरोधी थे ये राष्ट्रद्रोहियों के।इसके विपरीत उनका वह सिक्का राष्ट्रद्रोहियों में प्रचलित था यह राष्ट्रभक्तों में। "खरे और खोटे सिक्के" में अंतर से अनभिज्ञ ही इन्हे एक सामान बता सकता है।
रहा प्रश्न व्यवस्था बदलने का, तो यथास्थिति बनाये रखने में बिकाऊ मीडिया की बड़ी भूमिका है। जिसका एक सकारात्मक विकल्प गत 13 वर्षों से सधे कदमो से चल रहा है। परिवर्तन चाहते है, कहने की बात नहीं, यह परिश्रम मांगता है, आपमे से कुछ साथ जुड़े, किन्तु अन्य कितनों ने उसे सुदृढ़ करने में साथ दिया?
जब नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे,
तब पायें - नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प- युगदर्पण मीडिया समूह YDMS.
हिंदी साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र, 2001 से पंजी सं RNI DelHin11786/2001(सोशल मीडिया में विविध विषयों के 30 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की 60 से अधिक देशों में एक वैश्विक पहचान है। 9911111611, 7531949051
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যুগ দর্পণ, યુગ દર્પણ ਯੁਗ ਦਰ੍ਪਣ, யுகதர்பண യുഗദര്പണ యుగదర్పణ ಯುಗದರ್ಪಣ, يگدرپ, युग दर्पण:, yugdarpan
देश की मिटटी की सुगंध, भारतचौपाल | -तिलक संपादक
मुस्लिम व ईसाई धार्मिक शिक्षा दे सकते हैं किन्तु हिन्दू नहीं ?
संविधान की शर्मनिरपेक्ष धारा 30 एवं धारा 30 अ के अनुसार हिन्दू अपने विद्यालयों में भले 100% छात्र हिन्दू हो, धार्मिक अथवा नैतिक शिक्षा नहीं दे सकता। रामायण, महाभारत, उपनिषद यहाँ तक गीता भी नहीं पढ़ा सकते, किन्तु अल्पसंख्यक मदरसे और स्कूल (कान्वेंट) अपनी मजहबी शिक्षा दे सकते हैं, भले उसमे 99% हिन्दू हों अथवा 100% सरकारी सहायता, वेतन, संरक्षण प्राप्त हो किन्तु सरकारी हस्तक्षेप से पूर्णत: मुक्त होंगे। भले जिहाद की शिक्षा एवं आतंकवाद या अलगाववाद का राष्ट्रद्रोही अड्डा बन जाये ?
यह धर्मनिरपेक्षता है या शर्मनिरपेक्षता?
जागो और जगाओ! जड़ों से जुड़ें, विश्व कल्याणार्थ भारत को विश्व गुरु बनाऐं !!!
आओ, इस देश की अस्मिता को भी बचाने का संकल्प लें ! मात्र सैन्य बल से ही नहीं, उनके प्रशिक्षण केंद्र बंद भी करें !!
आओ भारत को सशक्त बनायें! अधिक से अधिक शेयर कर 125 करोड़ तक पहुंचाएं!!
वंदेमातरम, उत्तिष्ठत अर्जुन, उत्तिष्ठत जाग्रत !!
यह हो सकता है कि 282 में से 116 पूर्व कांग्रेसी हों, जैसा आप नेता बता रहे है। चेहरा बहुत कुछ दिखाता है किन्तु सब कुछ नहीं, जो चेहरा देख कर आँकलन करते है कई बार भटक जाते हैं। ये 116 जब वहां थे इनका नेतृत्व कहता था लूटो और लूट में हिस्सा दो सुरक्षित हो अन्यथा बाहर, अब यहाँ नेतृत्व कहता है जो जनता की सेवा नहीं कर सकता मंत्रिमंडल से बाहर चला जाये। यहाँ से मंत्रिमंडल की कार्यसंस्कृति का निर्माण होता है। दोनों की सोच व चरित्र भिन्न है। वे राष्ट्रभक्तों के विरोधी थे ये राष्ट्रद्रोहियों के।इसके विपरीत उनका वह सिक्का राष्ट्रद्रोहियों में प्रचलित था यह राष्ट्रभक्तों में। "खरे और खोटे सिक्के" में अंतर से अनभिज्ञ ही इन्हे एक सामान बता सकता है।
रहा प्रश्न व्यवस्था बदलने का, तो यथास्थिति बनाये रखने में बिकाऊ मीडिया की बड़ी भूमिका है। जिसका एक सकारात्मक विकल्प गत 13 वर्षों से सधे कदमो से चल रहा है। परिवर्तन चाहते है, कहने की बात नहीं, यह परिश्रम मांगता है, आपमे से कुछ साथ जुड़े, किन्तु अन्य कितनों ने उसे सुदृढ़ करने में साथ दिया?
जब नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे,
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देश की मिटटी की सुगंध, भारतचौपाल | -तिलक संपादक