यदि आप वास्तव में कूड़ेदान पत्रकारिता से हट कर कुछ करना चाहते हैं तो आपका स्वागत है.ऐसी ही पत्र कारिता के माध्यम दिया जलाया है ! अब देश, धर्म, ज्ञान, विज्ञान, राष्ट्र, समाज,युग- दर्पण विविध विषय के ब्लॉग 25 की श्रृंखला! आओ मिल कर दिया जलाएं! देश की मिटटी की सुगंध, भारतचौपाल!
चन्दन तरुषु भुजन्गा
जलेषु कमलानि तत्र च ग्राहाः
गुणघातिनश्च भोगे
खला न च सुखान्य विघ्नानि
Meaning:
We always find snakes and vipers on the trunks of sandal wood trees, we also find crocodiles in the same pond which contains beautiful lotuses. So it is not easy for the good people to lead a happy life without any interference of barriers called sorrows and dangers. So enjoy life as you get it.
Courtesy: रामकृष्ण प्रभा (धूप-छाँव)
विश्व गुरु भारत की पुकार:-
विश्व गुरु भारत विश्व कल्याण हेतु नेतृत्व करने में सक्षम हो ?
इसके लिए विश्व गुरु की सर्वांगीण शक्तियां जागृत हों ! इस निमित्त आवश्यक है अंतरताने के नकारात्मक उपयोग से बड़ते अंधकार का शमन हो, जिस से समाज की सात्विक शक्तियां उभारें तथा विश्व गुरु प्रकट हो! जब मीडिया के सभी क्षेत्रों में अनैतिकता, अपराध, अज्ञानता व भ्रम का अन्धकार फ़ैलाने व उसकी समर्थक / बिकाऊ प्रवृति ने उसे व उससे प्रभावित समूह को अपने ध्येय से भटका दिया है! दूसरी ओर सात्विक शक्तियां लुप्त /सुप्त /बिखरी हुई हैं, जिन्हें प्रकट व एकत्रित कर एक महाशक्ति का उदय हो जाये तो असुरों का मर्दन हो सकता है! यदि जगत जननी, राष्ट्र जननी व माता के सपूत खड़े हो जाएँ, तो यह असंभव भी नहीं है,कठिन भले हो! इसी विश्वास पर, नवरात्रों की प्रेरणा से आइये हम सभी इसे अपना ध्येय बनायें और जुट जाएँ ! तो सत्य की विजय अवश्यम्भावी है! श्रेष्ठ जनों / ब्लाग को उत्तम मंच सुलभ करने का एक प्रयास है जो आपके सहयोग से ही सार्थक /सफल होगा !
अंतरताने का सदुपयोग करते युगदर्पण समूह की ब्लाग श्रृंखला के 25 विविध ब्लाग विशेष सूत्र एवम ध्येय लेकर blogspot.com पर बनाये गए हैं! साथ ही जो श्रेष्ठ ब्लाग चल रहे हैं उन्हें सर्वश्रेष्ठ मंच देने हेतु एक उत्तम संकलक /aggregator है deshkimitti.feedcluster.com ! इनके ध्येयसूत्र / सार व मूलमंत्र से आपको अवगत कराया जा सके; इस निमित्त आपको इनका परिचय देने के क्रम का शुभारंभ (भाग--1) युवादर्पण से किया था,अब (भाग 2,व 3) जीवन मेला व् सत्य दर्पण से परिचय करते हैं: -
2)जीवनमेला:--कहीं रेला कहीं ठेला, संघर्ष और झमेला कभी रेल सा दौड़ता है यह जीवन.कहीं ठेलना पड़ता. रंग कुछ भी हो हंसते या रोते हुए जैसे भी जियो,फिर भी यह जीवन है.सप्तरंगी जीवन के विविध रंग,उतार चढाव, नीतिओं विसंगतियों के साथ दार्शनिकता व यथार्थ जीवन संघर्ष के आनंद का मेला है- जीवन मेला दर्पण.तिलक..(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpanh पर इमेल/चैट करें,संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611,09911145678,09540007993.
3)सत्यदर्पण:- कलयुग का झूठ सफ़ेद, सत्य काला क्यों हो गया है ?
-गोरे अंग्रेज़ गए काले अंग्रेज़ रह गए! जो उनके राज में न हो सका पूरा,मैकाले के उस अधूरे को 60 वर्ष में पूरा करेंगे उसके साले! विश्व की सर्वश्रेष्ठ उस संस्कृति को नष्ट किया जा रहा है.देश को लूटा जा रहा है.! भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो साधू/अब नारी वेश में फिर आया रावण.दिन के प्रकाश में सबके सामने सफेद झूठ;और अंधकार में लुप्त सच्च की खोज में साक्षात्कार व महाचर्चा से प्रयास - तिलक.(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/ निशुल्क सदस्यता व yugdarpanh पर इमेल/ चैट करें,संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611,9911145678,09540007993.
देश की मिटटी की सुगंध--देश की मिटटी से जुडे लोगों का मंच.-- नई तकनीक स्वीकारने के साथ ही विश्व को भारत की वो सौगात /उन महान मूल्यों की रक्षा, हर हाल करना, व्यापक मानवीय आधार है। द्वार खुले रखने का अर्थ अँधानुकरण/प्रदुषण स्वीकारने की बाध्यता नहीं। (निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें।संपर्क सूत्र https://t.me/ydmstm - तिलक रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार, संपादक युगदर्पण®2001 मीडिया समूह YDMS👑 9971065525, 9911111611, 9540007991
देश की मिटटी से जुडे लोगों का मंच.-- नई तकनीक स्वीकारने के साथ ही विश्व को भारत की वो सौगात /उन महान मूल्यों की रक्षा, हर हाल करना, व्यापक मानवीय आधार है। द्वार खुले रखने का अर्थ अँधानुकरण/प्रदुषण स्वीकारने की बाध्यता नहीं। (निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें।संपर्क सूत्र -तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 09999777358
YDMS चर्चा समूह
आ.सूचना,
बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य
Thursday, March 18, 2010
Tuesday, March 16, 2010
नव संवत 2067 की शुभकामनाएं.
देश की मिटटी की सुगंध, भारतचौपाल
अंग्रेजी का नव वर्ष भले हो मनाया,
उमंग उत्साह चाहे हो जितना दिखाया;
विक्रमी संवत बढ़ चढ़ के मनाएं,
चैत्र के नवरात्रे जब जब आयें;
घर घर सजाएँ उमंग के दीपक जलाएं,
खुशियों से ब्रहमांड तक को महकाएं.
यह केवल एक कैलेंडर नहीं प्रकृति से सम्बन्ध है,
इसी दिन हुआ सृष्टि का आरंभ है.
युगदर्पण परिवार की ओर से अखिल विश्व में फैले हिन्दू समाज सहित,चरअचर सभी के लिए गुडी पडवा, उगादी,
नव संवत 2067 की शुभकामनाएं.
तिलक संपादक युगदर्पण. .
(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpanh पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-09911111611,9911145678,9540007993. www.bharatchaupal.blogspot.com/ http://www.deshkimitti.blogspot.com/
अंग्रेजी का नव वर्ष भले हो मनाया,
उमंग उत्साह चाहे हो जितना दिखाया;
विक्रमी संवत बढ़ चढ़ के मनाएं,
चैत्र के नवरात्रे जब जब आयें;
घर घर सजाएँ उमंग के दीपक जलाएं,
खुशियों से ब्रहमांड तक को महकाएं.
यह केवल एक कैलेंडर नहीं प्रकृति से सम्बन्ध है,
इसी दिन हुआ सृष्टि का आरंभ है.
युगदर्पण परिवार की ओर से अखिल विश्व में फैले हिन्दू समाज सहित,चरअचर सभी के लिए गुडी पडवा, उगादी,
नव संवत 2067 की शुभकामनाएं.
तिलक संपादक युगदर्पण. .
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Wednesday, March 10, 2010
विहिप के सेवा प्रकल्प, गौसेवा
देश की मिटटी की सुगंध, भारत चौपाल.
हमारा मत्त है कि कई बार देश की सेवा में लगे संगठन अपनी अपनी सोच, क्षमता व पद्धति से करते है! मत भिन्नता के कारण उसे सांप्रदायिक कह कर तिरस्कृत कर उसके मार्ग में बाधा डालने से राष्ट्र को क्षति ही पहुंचेगी! ऐसे कार्य करने वालों की अपनी राष्ट्रनिष्ठा संदिग्ध हो जाति है! विशेषकर, जब धर्म निरपेक्षता का दंभ भरने वाले स्वयं सांप्रदायिक राजनीति करते हों! जब इस्लाम खतरे में कहा जाये तो सांप्रदायिक नहीं होता,तो हिंदुत्व की रक्षा करना बुरा क्यों बन जाता है? इस परिपेक्ष्य में ऐसा कोई कारण नहीं दीखता कि विहिप के श्रेष्ठ कार्यों को भी हम पूर्वाग्रह से मुक्त हो कर न देखें? --संपादक युगदर्पण
हमारा मत्त है कि कई बार देश की सेवा में लगे संगठन अपनी अपनी सोच, क्षमता व पद्धति से करते है! मत भिन्नता के कारण उसे सांप्रदायिक कह कर तिरस्कृत कर उसके मार्ग में बाधा डालने से राष्ट्र को क्षति ही पहुंचेगी! ऐसे कार्य करने वालों की अपनी राष्ट्रनिष्ठा संदिग्ध हो जाति है! विशेषकर, जब धर्म निरपेक्षता का दंभ भरने वाले स्वयं सांप्रदायिक राजनीति करते हों! जब इस्लाम खतरे में कहा जाये तो सांप्रदायिक नहीं होता,तो हिंदुत्व की रक्षा करना बुरा क्यों बन जाता है? इस परिपेक्ष्य में ऐसा कोई कारण नहीं दीखता कि विहिप के श्रेष्ठ कार्यों को भी हम पूर्वाग्रह से मुक्त हो कर न देखें? --संपादक युगदर्पण
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Hkonh;
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Hkonh;
Tuesday, March 2, 2010
महाचर्चा के सूत्र
देश की मिटटी की सुगंध, भारत चौपाल।
महाचर्चा के सूत्र। विश्व कल्याण तथा प्रकृति व उसकी सम्पूर्ण रचना से प्रेम को सिद्धांत रूप में मानने वाला विश्व में यदि कोई है तो वह भारत (इंडिया नही) है। भारतीय मूल्यों व हिंदुत्व को त्याग कर बने इंडिया में वह भारत आज कहाँ है?
(1) जड़ें मिटटी छोड़ दें, तो वृक्ष भी गिर जाते हैं.
मिटटी से जुडी घास हो , तूफान भी कल निकल जाते हैं।
विश्व शान्ति व मानवता के नारे लगाने मात्र से न विश्व में शान्ति की स्थापना होगी न मानवता की रक्षा। मानवाधिकार वादियों को मानव और दानव में अन्तर ही पता नही हो। आतंकियों से पीड़ित जनसामान्य की कराह उन्हें सुनाई न दे और उन दानवों या उनके समर्थकों में से किसी के भी मारे जाने पर छाती पीटने वाले ये लोग मानवता के शत्रुओं का पोषण व संरक्षण करते हैं।
जिन के लिए विश्व कल्याण एक सिद्धांत है आज उन्हे साम्प्रदायिक कहा जाता है. तथा जिन के लिए यह केवल एक नारा है, पाखण्ड है - धर्मं निरपेक्ष कहलाते हैं. वोट बैंक के लिए देश के शत्रुओं के संरक्षक बने भारत माता के ये कपूत निर्दोष सपूतों की बलि चढाते हैं। राष्ट्र भक्त इन्हें फूटी आँख नही सुहाते हैं।
(२) पतंग आकाश में जो तन के उड़ा करती है
धरती से कट के वो पैरों में गिरा करती है।
६० वर्षों से पूरे देश से करों के रूप में संगृहीत राजस्व से कश्मीर में पाक परस्तों का पोषण करते हुए , ऐसे तत्वों का प्रभुत्व बढाया जा रहा है । साम दाम दंड भेद का ढुलमुल उपयोग कर आधी शताब्दी में जिन से मुट्ठी भर आतंकी इस देश से खदेडे नही जा सके, उनका यह दावा कि हमने बिना खडग ढाल अंग्रेजों से भारत आजाद कराया, अविश्वसनीय सा लगता है। निश्चित ही अंग्रेज इन से डर कर नही , क्रांतिकारियों से डर कर भागे थे।.....
महाचर्चा के सूत्र। विश्व कल्याण तथा प्रकृति व उसकी सम्पूर्ण रचना से प्रेम को सिद्धांत रूप में मानने वाला विश्व में यदि कोई है तो वह भारत (इंडिया नही) है। भारतीय मूल्यों व हिंदुत्व को त्याग कर बने इंडिया में वह भारत आज कहाँ है?
(1) जड़ें मिटटी छोड़ दें, तो वृक्ष भी गिर जाते हैं.
मिटटी से जुडी घास हो , तूफान भी कल निकल जाते हैं।
विश्व शान्ति व मानवता के नारे लगाने मात्र से न विश्व में शान्ति की स्थापना होगी न मानवता की रक्षा। मानवाधिकार वादियों को मानव और दानव में अन्तर ही पता नही हो। आतंकियों से पीड़ित जनसामान्य की कराह उन्हें सुनाई न दे और उन दानवों या उनके समर्थकों में से किसी के भी मारे जाने पर छाती पीटने वाले ये लोग मानवता के शत्रुओं का पोषण व संरक्षण करते हैं।
जिन के लिए विश्व कल्याण एक सिद्धांत है आज उन्हे साम्प्रदायिक कहा जाता है. तथा जिन के लिए यह केवल एक नारा है, पाखण्ड है - धर्मं निरपेक्ष कहलाते हैं. वोट बैंक के लिए देश के शत्रुओं के संरक्षक बने भारत माता के ये कपूत निर्दोष सपूतों की बलि चढाते हैं। राष्ट्र भक्त इन्हें फूटी आँख नही सुहाते हैं।
(२) पतंग आकाश में जो तन के उड़ा करती है
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६० वर्षों से पूरे देश से करों के रूप में संगृहीत राजस्व से कश्मीर में पाक परस्तों का पोषण करते हुए , ऐसे तत्वों का प्रभुत्व बढाया जा रहा है । साम दाम दंड भेद का ढुलमुल उपयोग कर आधी शताब्दी में जिन से मुट्ठी भर आतंकी इस देश से खदेडे नही जा सके, उनका यह दावा कि हमने बिना खडग ढाल अंग्रेजों से भारत आजाद कराया, अविश्वसनीय सा लगता है। निश्चित ही अंग्रेज इन से डर कर नही , क्रांतिकारियों से डर कर भागे थे।.....
Sunday, February 28, 2010
Wednesday, January 20, 2010
Some Imp. Blogs on:- A Vast List of Subjects,intrests
देखते रहो All are on Blogspot.com
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FilmFashionClubFundaa__
(these 2 on Fundaa of FFC Glamour and
Social evils Drugs, Smoking,Drinking,Criminology,
MafiA All are कुचक्र कुसंग विकृति बिगाड़ा)
Kaavyaanjalikaa__Rachnaakaarkaa__
(blog for Poety and other creative Activities)
ThitholeeDarpan_हास्य ठिठोली जीवनमें आवश्यक है
किन्तु जीवन ठिठोली नहीं है, न बना दी जाए!.इस पूरी
शृंखला में भारत की सभी प्रकार की पीड़ा की अभिव्यक्ति है
आप इन सभी या इनमें से किसी भी पीड़ा को व्यक्त करने
हेतू कोई भी ब्लॉग चुन सकते हैं, लिख सकते हैं.
हमसे जुड़ने के इच्छुक ईमेल या चैट कर सकते हैं
(युगदर्पण h याहू / गूगल पर उपलब्ध है)
जीवन के हर रूप/ हर रंग/हर पक्ष के दर्द को समझने
के प्रयास में----अंतरताने पर___शृंखला २१ दर्पण +४
अन्तरिक्ष/राष्ट्र/धर्मसंस्कृति/ज्ञानविज्ञान/जीवनशैली/
जीवनमेला/महिलाघरपरिवार/पर्यावरण/पर्यटनधरोहर/
प्रतिभाप्रबंधनपरिणति/समाज/शिक्षा/सत्य/कार्यक्षेत्र/
सर्वसमाचार/ठिठोली/चेतना/विश्व/युवा एवं युगदर्पण,
भारतचौपल, देशकीमिट्टी, फ़िल्मफ़ैशनक्लबफ़ंडा,
काव्यांज्लिका,रचनाकारका.ब्लॉगस्पाट.काम की
पूरी श्रंखला प्रस्तुत है.
--युगदर्पण समाचार पत्र समूह
तिलक राज रेलन सम्पादक- युग दर्पण
09911111611, 9911145678, 9540007993,-91
देश की मिटटी की सुगंध, भारतचौपाल .
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पूरी श्रंखला प्रस्तुत है.
--युगदर्पण समाचार पत्र समूह
तिलक राज रेलन सम्पादक- युग दर्पण
09911111611, 9911145678, 9540007993,-91
देश की मिटटी की सुगंध, भारतचौपाल .
Thursday, January 14, 2010
जीवन के हर रूप/ हर रंग/हर पक्ष के दर्द को समझने
के प्रयास में----अंतरताने पर___शृंखला २१ दर्पण +४
अन्तरिक्ष/चेतना/राष्ट्र/धर्मसंस्कृति/फ़िल्मफ़ैशनक्लबफ़ंडा
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एवं युगदर्पण भारतचौपल देशकीमिट्टी काव्यांज्लिका
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तिलक राज रेलन सम्पादक- युग दर्पण
09911111611, 9911145678, 9540007993,-91
Monday, January 4, 2010
yug darpan bhaashaai ank
Desh ki mitti ki sugandh, bharat chaupal.
युग दर्पण साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र हिन्दी,sampaadak YugDarpan
युग दर्पण साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र मराठी,
ਯੁਗ ਦਰ੍ਪਣ ਸਾਪ੍ਤਾਹਿਕ ਰਾਸ਼੍ਟ੍ਰੀਯ ਸਮਾਚਾਰ ਪਤ੍ਰ,
युग दर्पण साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र संस्कृत
yuga darpaNa saaptaahika raaShTreeya samaacaar patra eMg.
ಯುಗ ದರ್ಪಣ ಸಾಪ್ತಾಹಿಕ ರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಸಮಾಚಾರ್ ಪತ್ರ ಕನ್ನದ,
யுக தரப்பான சாப்டாஹிக ராஷ்ட்ரீய சமாசார் பற்ற தாதில,
യുഗ ദര്പന സാപ്ടാഹിക രാഷ്ട്രീയ സമാചാര് പത്ര
యుగ దర్పణ సాప్తాహిక రాష్ట్రీయ సమాచార్ పాత్ర
યુગ દર્પણ સાપ્તાહિક રાષ્ટ્રીય સમાચાર પત્ર ગુજ્રાતી ,
যুগ দর্পণ সাপ্তাহিক রাষ্ট্রীয সমাচার পত্র বাংগ্লা,
যুগ দর্পণ সাপ্তাহিক রাষ্ট্রীয সমাচার পত্র ওদিশী,
hindi, maraathi,gurumukhi, sankrit,kannad,tamil,
telugu, malyaalam, Gujraati, Banglaa,Odishi.
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युग दर्पण साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र हिन्दी,sampaadak YugDarpan
युग दर्पण साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र मराठी,
ਯੁਗ ਦਰ੍ਪਣ ਸਾਪ੍ਤਾਹਿਕ ਰਾਸ਼੍ਟ੍ਰੀਯ ਸਮਾਚਾਰ ਪਤ੍ਰ,
युग दर्पण साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र संस्कृत
yuga darpaNa saaptaahika raaShTreeya samaacaar patra eMg.
ಯುಗ ದರ್ಪಣ ಸಾಪ್ತಾಹಿಕ ರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಸಮಾಚಾರ್ ಪತ್ರ ಕನ್ನದ,
யுக தரப்பான சாப்டாஹிக ராஷ்ட்ரீய சமாசார் பற்ற தாதில,
യുഗ ദര്പന സാപ്ടാഹിക രാഷ്ട്രീയ സമാചാര് പത്ര
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Thursday, December 24, 2009
देश की मिटटी की सुगंध ।
अंग्रेजी का नव-वर्ष भले ही मनाएं, उमंग-उत्साह चाहे जितना दिखाएँ; विक्रमी संवत को कभी न भुलाएँ, चैत्र के नवरात्रे जब-जब भी आयें; घर-घर सजाएँ दीपक जलाएं, खुशियों से ब्रह्माण्ड तक सभी को महकाएं। अभी तो अंग्रेजी नव वर्ष की शुभ कामनाएं। तिलक - संपादक युग दर्पण। 09911111611, 09540007993, -991, yugdarpanh@याहू.कॉम..। दिल्ली भारत ।
अंग्रेजी का नव-वर्ष भले ही मनाएं, उमंग-उत्साह चाहे जितना दिखाएँ; विक्रमी संवत को कभी न भुलाएँ, चैत्र के नवरात्रे जब-जब भी आयें; घर-घर सजाएँ दीपक जलाएं, खुशियों से ब्रह्माण्ड तक सभी को महकाएं। अभी तो अंग्रेजी नव वर्ष की शुभ कामनाएं। तिलक - संपादक युग दर्पण। 09911111611, 09540007993, -991, yugdarpanh@याहू.कॉम..। दिल्ली भारत ।
Tuesday, October 21, 2008
देश की मिटटी की सुगंध, भारत चौपाल
देश की मिटटी की सुगंध, भारत चौपाल।
वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभा । निर्विघ्नम् कुरु में देव सर्व कार्येषु सर्वदा । आज गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर विघ्न विनाशक श्री गणेश जी का आह्वान करने के साथ ही परमपिता परमात्मा से प्रार्थना व् कामना करते हैं कि भारत का खोया गौरव एवं स्वर्ण काल पुनः लौटे व् इसके मार्ग की सभी विघ्न बाधाएं दूर हों । इस निमित्त इस अवसर पर भारत चौपाल का शुभारम्भ करते हुए इसमें आप सभी भारत प्रेमी प्रज्ञावान सद्पुरुषों का स्वागत हैं ।
भारत चौपाल जैसा नाम से ही स्पष्ट है, देश की मिटटी से जुड़े लोगों का चौपाल है। कभी विश्व गुरु रहे भारत को उसी स्थान पर पुनर्प्रतिष्ठित करने का स्वप्न संजोये भारतियों के लिए यह एक मंच है। इसी दिशा में महाचर्चा के मध्यम इसका सूत्रपात करने जा रहे हैं। इस निमित्त कुछ सूत्र प्रस्तुत हैं-:
(गणेश चतुर्थी के दिन हमारे दूसरे ब्लॉग पर प्रकाशित पोस्ट की प्रति )
वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभा । निर्विघ्नम् कुरु में देव सर्व कार्येषु सर्वदा । आज गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर विघ्न विनाशक श्री गणेश जी का आह्वान करने के साथ ही परमपिता परमात्मा से प्रार्थना व् कामना करते हैं कि भारत का खोया गौरव एवं स्वर्ण काल पुनः लौटे व् इसके मार्ग की सभी विघ्न बाधाएं दूर हों । इस निमित्त इस अवसर पर भारत चौपाल का शुभारम्भ करते हुए इसमें आप सभी भारत प्रेमी प्रज्ञावान सद्पुरुषों का स्वागत हैं ।
भारत चौपाल जैसा नाम से ही स्पष्ट है, देश की मिटटी से जुड़े लोगों का चौपाल है। कभी विश्व गुरु रहे भारत को उसी स्थान पर पुनर्प्रतिष्ठित करने का स्वप्न संजोये भारतियों के लिए यह एक मंच है। इसी दिशा में महाचर्चा के मध्यम इसका सूत्रपात करने जा रहे हैं। इस निमित्त कुछ सूत्र प्रस्तुत हैं-:
(गणेश चतुर्थी के दिन हमारे दूसरे ब्लॉग पर प्रकाशित पोस्ट की प्रति )
Monday, October 20, 2008
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