हमें बचपन से ही सवाल पूछने की आदत है... जब भी किसी (मुसलमान) से मज़हब से जुड़े सवाल पूछो तो जवाब मिलता है कि इससे 'ईमान' ख़तरे में पड़ जाता है... यानि सवाल इस्लाम के प्रति शक पैदा करते हैं... इससे 'ईमान' डोलने लगता है... और किसी भी 'मुसलमान' को ऐसा नहीं करना चाहिए... यह गुनाहे-कबीरा है...यानि ऐसा गुनाह जिसकी कहीं कोई मुआफ़ी नहीं... और यह गुनाह किसी को भी दोज़ख (नर्क) की आग में झोंकने के लिए काफ़ी है...
इस्लाम की बुनियाद अरब की जंगली कुप्रथाओं के खिलाफ़ रखी गई थी... उस वक़्त इस्लाम को क़ुबूल करने वाले लोग सुधारवादी थे... हैरत की बात है जिस मज़हब की बुनियाद सुधार के लिए रखी गई थी, आज उसी मज़हब के अलमबरदार सुधार के नाम से 'मारने-मरने' को उतारू हो जाते हैं...
सुधार तो निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है... इसमें 'कोमा' तो हो सकता है, लेकिन 'फ़ुल स्टॉप' नहीं.
मुसलमानों में बच्चों को यही बुनियादी तालीम दी जाती है कि दुनिया में इस्लाम ही एकमात्र मज़हब है जो अल्लाह का है और अल्लाह ने ही शुरू किया है, जबकि दूसरे धर्म मनुष्य ने शुरू किए हैं...
अल्लाह सर्वशक्तिमान है, जबकि दूसरे धर्मों के देवी-देवता 'शैतान' हैं...यानी अल्लाह के विरोधी हैं... ऐसे में भला कौन अपने अल्लाह के विरोधियों को अच्छा समझेगा...??? उनके देवी-देवताओं के बारे में ग़लत बातें की जाती हैं... इसलिए लोगों की ऐसी मानसकिता बन जाती है कि वो ख़ुद को सर्वश्रेष्ठ और दूसरे धर्मों को तुच्छ समझते हैं...
हम एक साल तक मदरसे में पढ़े हैं, यानि तीसरी जमात... हमें भी यह सब पढ़ाया गया है...
हमने अप्पी (मुल्लानी जी को अप्पी कहते थे) से पूछा- जब हमारा अल्लाह ही सर्वश्रेष्ठ है तो फिर...क्यों हिन्दुओं की मुरादें पूरी होती हैं...??? इस दुनिया में हिन्दू तो पहले से हैं, लेकिन मुसलमान बाद में क्यों बने...???
अल्लाह ने सभी को अपने मज़हब का क्यों नहीं बनाया...???
ये हमारे वो सवाल थे जिनका जवाब मुल्लानी जी के पास नहीं था...
उन्होंने कहा- तुम बहुत सवाल करती हो... यह अच्छी बात नहीं है... बच्चों को जो समझाया जाता है... उन्हें उसी को याद करना चाहिए... ऐसे सवालों से ईमान ख़तरे में पड़ जाता है...
ख़ैर, हमारा 'ईमान' हमेशा ख़तरे में रहता है... क्योंकि हम सवाल बहुत करते हैं...
बहुत से सवाल ऐसे हैं, जिनके जवाब हम बचपन से तलाश रहे हैं...
मसलन
अल्लाह ने संसार की सृष्टि करके इसे हिन्दुओं के हवाले क्यों कर दिया...??? हिन्दुओं के दौर में भी संसार आगे बढ़ा... कई सभ्यताएं आईं...
दूसरे मज़हब के लोगों को किसने पैदा क्या है...??? अगर अल्लाह ने... तो फिर क्यों अल्लाह को मानने वाले 'मुसलमान' दूसरे मज़हबों के लोग को 'तुच्छ' समझते हैं... क्या अपने ही अल्लाह की संतानों (दूसरे मज़हब के लोगों) के साथ ऐसा बर्ताव जायज़ है...???
क्या दूसरे मज़हबों के धार्मिक ग्रंथों और उनके ईष्ट देवी-देवताओं के बारे में अपमानजनक बातें करने से... उनका दिल दुखाने से अल्ल्लाह ख़ुश होगा...??? क़तई नहीं...
'मुसलमानों' की अपने मज़हब को श्रेष्ठ समझने और दूसरे मज़हबों को 'तुच्छ' समझने की मानसिकता ने बहुत से विवादों को पैदा कर दिया है... इनमें सबसे अहम है दहशतगर्दी... जिससे आज कई मुल्क जूझ रहे हैं... इससे इनकार नहीं किया जा सकता...
जब अल्लाह ने सभी को 'मुसलमान' पैदा नहीं किया तो फिर क्यों मज़हब के ठेकेदार सभी कौमों को 'मुसलमान' बनाने पर तुले हुए हैं...???
इस्लाम धर्म के संस्थापक हज़रत मुहम्मद (सल्लल.) से पहले जो एक लाख 24 हज़ार नबी हुए हैं... वो किस मज़हब को मानते थे...???
सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए... जब हम किसी और के मज़हब का सम्मान नहीं करेंगे तो फिर किसी और से कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वो भी हमारे मज़हब को अच्छा समझे...
सवाल बहुत हैं... लेकिन अभी इजाज़त चाहते हैं...जय हिंद
वन्दे मातरम्
फ़िरदौस ख़ान
युवा पत्रकार, शायरा और कहानीकार... उर्दू, हिन्दी और पंजाबी में लेखन. उर्दू, हिन्दी, पंजाबी, गुजराती, इंग्लिश और अरबी भाषा का ज्ञान... दूरदर्शन केन्द्र और देश के प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों दैनिक भास्कर, अमर उजाला और हरिभूमि में कई वर्षों तक सेवाएं दीं...अनेक साप्ताहिक समाचार-पत्रों का सम्पादन भी किया... ऑल इंडिया रेडियो, दूरदर्शन केन्द्र से समय-समय पर कार्यक्रमों का प्रसारण... ऑल इंडिया रेडियो और न्यूज़ चैनल के लिए एंकरिंग भी की है. दैनिक हिन्दुस्तान, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण ट्रिब्यून, अजीत समाचार, देशबंधु और लोकमत सहित देश-विदेश के विभिन्न समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और समाचार व फीचर्स एजेंसी के लिए लेखन... मेरी ' गंगा-जमुनी संस्कृति के अग्रदूत' नामक एक किताब प्रकाशित... इसके अलावा डिस्कवरी चैनल सहित अन्य टेलीविज़न चैनलों के लिए स्क्रिप्ट लेखन जारी... उत्कृष्ट पत्रकारिता, कुशल संपादन और लेखन के लिए अनेक पुरस्कारों ने नवाज़ा जा चुका है...इसके अलावा कवि सम्मेलनों और मुशायरों में भी शिरकत...कई बरसों तक हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की तालीम भी ली... उर्दू, पंजाबी, अंग्रेज़ी और रशियन अदब (साहित्य) में ख़ास दिलचस्पी. फ़िलहाल 'स्टार न्यूज़ एजेंसी' और 'स्टार वेब मीडिया' में समूह संपादक का दायित्व संभाल रही हूं... जिस दिन हर मुसलमान फिरदोस खान बन जायेगा दुनिया से आतंक मिट कर स्वर्ग उतर आयेगा, जिस दिन स्व. अब्दुल हमीद से बन जायेंगे भारत की तरफ कोई आंख भी नहीं उठा पायेगा !!
संस्कृति में ही हमारे प्राण है! भारतीय संस्कृति की रक्षा हमारा दायित्व -तिलक 09911111611
देश की मिटटी की सुगंध, भारतचौपाल!
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